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दिव्यांग राजा

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  यह कहानी एक दिव्यांग राजा की है। उसकी एक आंख नहीं थी और एक पैर भी नहीं था लेकिन फिर भी उसके राज्य में कोई भी परेशानी नहीं थी। सभी लोग उसे राजा से बहुत खुश द और वह भगवान का शुक्रिया अदा करते रहते थे  की इतने अच्छे राजा उनकी जिंदगी में आए राजा को अपनी एक आंख और एक तंग ना होने का कोई भी दुख नहीं था वह हमेशा खुशी रहता था। अभी एक दिन वह राजा अपने महल के मुख्य कमरे में घूम रहा था। वह अपने पूर्वजों की लगी तस्वीरें को देख रहा था और सोच रहा था की मेरे पिताजी कितने बड़े शूरवीर थे। और मेरे दादाजी भी बहुत बड़े शूरवीर द और मुझे भी इतने बड़े शूरवीर खानदान में जन्म लेने का मौका मिला इसके लिए वो राजा ऊपर वाले का दिल से धन्यवाद कर रहा था तभी राजा तभी चित्रों को देखते हुए आखिरी तस्वीर तक पहुंचा और फिर उसने खाली जगह को देखा तो वह बड़ी चिंता में पद गया क्योंकि उसे मालूम था की अब यहां जो तस्वीर लगेगी वह उसी की ही लगेगी लेकिन उसे राजा को इस बात की कोई भी चिंता नहीं थी की वह एक दिन मार जाएगा उसे चिंता तो इस की थी की वहां जो पेंटिंग लगेगी वह दिखने में कैसी होगी राजा की एक आंख और एक पैर एन होने की वजह से वह

गाँव क़ा प्यार

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   नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको सुनाऊंगा अपने प्यार के बिना कैसे रहूंगी बेटी ने जीता पिता का दिल गांव के प्यार की बहुत ही सुंदर कहानी अनामिका जैसा नाम उसे कहीं ज्यादा खूबसूरत थी। वो पूरा गांव बस उसी की बातें करता रहता था वो थी। इतनी प्यारी खूबसूरत के साथ-साथ वो एक भोली भली और ईमानदार लड़की भी थी और हान अपने पिता के साथ-साथ वो भोलेनाथ भगवान से भी बहुत ही ज्यादा प्रेम करती थी वैसे तो अनामिका के माता-पिता बहुत गरीब द मगर उसके पिता की एक बहुत बड़ी जमीन थी। जिस पर वह खेती करके अपना घर चलाते थे। अनामिका की एक छोटी बहन और एक छोटा भाई भी था जो अभी स्कूल पढ़ रहे थे। और अनामिका ने 12वीं कक्षा तक स्कूल छोड़ दिया था क्योंकि उसकी मैन और पिताजी तो खेतों में चले जाते द और घर पर इतना कम रहता था की वह अनामिका कोई क्षमता पड़ता था खैर घर संभालना तो बहाना था दरअसल अनामिका इतनी सुंदर थी की उसके माता-पिता को हर समय दर सत्ता रहता था की उसकी लड़की किसी गलत लड़के के चक्कर में ना फैंस जाए इसलिए अनामिका का स्कूल उसके माता-पिता ने छुड़वा दिया था जबकि उसका पढ़ने का बहुत मैन था लेकिन उसे बेचारी ने घरवालों की खुशी के

मेरी किस्मत कहानी

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  दोबारा किसी से मोहब्बत हो सकती है। इसका जवाब शायद किसी के लिए हान होगा तो किसी के लिए ना यह कहानियां निशा नाम की एक लड़की की जो अमर नाम के लड़के से बहुत ही प्यार करती थी। दोनों कॉलेज के वक्त से ही एक दूसरे के पक्के दोस्त हैं और अमर वी निशा एक दूसरे को बहुत ही अच्छी तरह से समझते द सच में दोनों की भौतिक गहरी दोस्ती थी। जब भी अमर को कोई मुश्किल होती तो निशा हर हाल में उसका साथ देती थी। इसी तरह जब भी निशा को मुश्किल का सामना करना पड़ता। तो समझो किसी भी हाल में अमर उसके साथ खड़ा हुआ मिलता था। इसी तरह दोनों एक दूसरे का साथ निभाते गए और दोनों के बीच में गहरी मोहब्बत हो गई वक्त के साथ-साथ इन दोनों का प्यार ऐसा हो गया की अगर भगवान भी इन्हें अलग होने के लिए कहे तो शायद उन्हें भी इनके आगे हर नहीं होगा अब कुछ ही समय बाद दोनों की कॉलेज की पढ़ खत्म हो गई और अमर और निशा दोनों ने ही अच्छी जॉब ज्वाइन कर ली और उनकी जिंदगी भी सही से खुशी से गुजर रही थी फिर एक दिन निशाने अमर से पता की अमर अब हमें शादी कर लेनी चाहिए अमर ने निशा की बात सुनकर कहा की ठीक है मैं आज ही अपने घरवालों से बात करता हूं और तुम भी अ

विधवा की दर्द भरी प्रेम कहानी

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  दूर से गाने की आवाज़ सोने के कानों तक पहुंच रही थी और वह इसे सुनकर रोटी हुई अपने अतीत के गलियारों में होती जा रही थी। यह गाना उसे और उसके प्यारे पति अविनाश को बहुत ही ज्यादा पसंद था। बहुत लंबा तो नहीं परंतु एक छोटा सा यादगार रास्ता दोनों ने एक साथ तय किया था। घर वालों की मर्जी के खिलाफ शादी की थी। सोनी बचपन में एक बार विधवा हो गई थी और अब फिर से विधवा थी उसे तनिक भी याद नहीं की कब उसका विवाह हुआ। अब वह सुहागन बनी और कब विधवा भी हो गई सोने की कहानी कुछ इस तरह है गांव से 10वीं पास करने के बाद घर में बाबूजी का फरमान जारी हुआ की अब आगे पढ़ने की जरूरत नहीं चूल्हा चौका करके सोने घर के कोने में पड़ी रहेगी एक विधवा स्त्री की यही तो विडंबना है लेकिन बड़े भाई जो की खोज में द उन्होंने सोनी को पढ़ने का बीड़ा उठाया उनकी बात काटने की हिम्मत बाबूजी में भी ना थी और मैन मार कर उन्होंने आगे की पढ़ पुरी करने की इजाजत दे दी सोनी ने मैन ही मैन भैया को धन्यवाद दिया और मैन लगाकर पढ़ पुरी करने लगी एक बार भैया छुट्टियां में घर आते हैं भैया फौज में है और सोने की पढ़ का पूरा खर्चा बाबूजी के हाथ में रख देते है

अपना जीवन कैसे बदलें

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   एक समय की बात है। एक गुरु और एक शिष्य किसी गांव से गुजर रहे द काफी देर चलने के बाद उनको प्याज लगने लगी थी। तो वह खेत पर जा पहुंचे खेत बहुत बड़ा और उपजाऊ था लेकिन उसे खेत को देख कर लगता था की उसका मलिक उसे खेत पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वहां पर एक झोपड़ी थी उन दोनों ने झोपड़ी के दरवाजा को खटखटाया तो अंदर से एक आदमी निकाला और साथ ही उसकी पत्नी और बच्चे बाहर निकले द सभी ने फटे पुराने कपड़े पहने हुए द गुरुजी ने बहुत ही विनम्र निवेदन किया क्या हमें पीने का पानी मिल सकता है। किसान ने उन दोनों को पानी पिलाया पानी पीने के बाद गुरु बोले आपका खेत बहुत बड़ा है लेकिन क्या आप इसमें कोई फसल नहीं उगते किसान भुला नहीं हम फसल नहीं बोलते। गुरुजी बोले तो आप लोगों का गुजारा कैसे चलता है। किसान बोला गुरुजी हमारे पास एक भैंस है जो बहुत सारा दूध देती है और उसमें से कुछ दूध बेचकर हम गुजारा कर लेते हैं और बाकी बच्चे दूध को हम सेवन कर लेते हैं। गुरुजी बोले इतनी बड़ी जमीन को यूं ही व्यर्थ खाली छोड़ना यह आपके आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। खाली एक भैंस पर निर्भर होना आपके लिए ठीक न

बेचारे पति की कहानी

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  नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको सुनाऊंगा पत्नी हो तो परिधि जैसी बेचारा पति सुनिए जी अगले महीने करवा चौथ है। आपको याद है ना परिधि ने अपने पति  नमन से बड़े प्रेम भरे शब्दों में कहा और पिछली बार भी आपने वादा किया था की अगली करवा चौथ पर आप मुझे अच्छे से अच्छे सारे दिलवाएंगे। अभी से ही का रही हूं। इस बार कोई भी बहाना नहीं सुनूंगी पिछली बार तो आपने मुझे चोरियों में दल दिया था। तब  नमन मुस्कुराकर बोला हान हान याद है मुझे अबकी बार मैं तुम्हें सदी जरूर दिला दूंगा। अब मैं ऑफिस जाऊं मुझे देर हो रही है धीरे-धीरे दिन बाईट गए। और अब करवा चौथ का दिन आने में कुछ दिन बचे द  नमन सोच रहा था की परिधि 400 से 500 रुपए तक की ही सदी लेगी और वह उसे जैसे-तैसे दिला ही देगा। तभी एक दिन ऑफिस में  नमन के सीनियर ने उससे कहा यार  नमन असल में छुट्टी पर रहूंगा जरा मेरा कम भी तुम ही देख लेना  नमन बोला की सर आप चिंता ना करें मैं सारा कम संभल लूंगा। लेकिन आज आप इतनी जल्दी कहां जा रहे हैं तब उसके सीनियर ने कहा की यार नमन एक हफ्ते बाद करवा चौथ है इसलिए तुम्हारी भाभी को एक अच्छे से सदी और उसे कुछ जरूरत का समान दिलाने जा रहा ह

कर्ज़ा कहानी

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   नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको सुनाऊंगा इसका कर्जा कौन बैग का यह कहानी आपका दिल छू लेगी बहुत पुराने समय की बात है एक गांव में एक भले आदमी गंगाराम का देहांत हो गया था। तो जैसे इस आदमी के परिवार वाले उस अर्थी को श्मशान ले जाने लगे तभी अचानक एक मोटे ताजे सेठ ने उस व्यक्ति का एक पांव पकड़ लिया और बोला कि मरने वाले इस गंगाराम से मैं 2 लाख रुपये कर्ज मांगता हूं। इसलिए पहले मुझे मेरे पैसे दे दो तभी मैं इस की अर्थी को श्मशान में जाने दूंगा। अब तमाम लोग तमाशा देख रहे थे। तभी उनके तीनों बेटों ने कहा कि हम तुम्हारा कर्जा नहीं देंगे। पिता जी का करीयर पिताजी जाने और वैसे भी अब तो इस दुनिया में ही नहीं है अगर तुम्हें की अर्थी ले जानी है तो ले जाओ यह सुनकर पूरा गांव गंगा राम के तीनों बेटों पर थू-थू कर रहा था अब गंगाराम के तीनों बेटे पुष्कर जी को देने से पीछे हट गए तभी गंगाराम के भाइयों ने भी कह दिया कि जब एग करी क्यों नहीं दे सकते तो हम क्यों किसी का करियर भरें अब गंगाराम की अर्थी हो वहां रुके हुए बहुत देर हो गई थी तभी यह बात गंगाराम की इकलौती बेटी तक पहुंच गई तो वह भागी-भागी अपने पिताजी की अर्थी तक