कर्ज़ा कहानी

  

कर्ज़ा  कहानी

नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको सुनाऊंगा इसका कर्जा कौन बैग का यह कहानी आपका दिल छू लेगी बहुत पुराने समय की बात है एक गांव में एक भले आदमी गंगाराम का देहांत हो गया था। तो जैसे इस आदमी के परिवार वाले उस अर्थी को श्मशान ले जाने लगे तभी अचानक एक मोटे ताजे सेठ ने उस व्यक्ति का एक पांव पकड़ लिया और बोला कि मरने वाले इस गंगाराम से मैं 2 लाख रुपये कर्ज मांगता हूं। इसलिए पहले मुझे मेरे पैसे दे दो तभी मैं इस की अर्थी को श्मशान में जाने दूंगा। अब तमाम लोग तमाशा देख रहे थे। तभी उनके तीनों बेटों ने कहा कि हम तुम्हारा कर्जा नहीं देंगे। पिता जी का करीयर पिताजी जाने

और वैसे भी अब तो इस दुनिया में ही नहीं है अगर तुम्हें की अर्थी ले जानी है तो ले जाओ यह सुनकर पूरा गांव गंगा राम के तीनों बेटों पर थू-थू कर रहा था अब गंगाराम के तीनों बेटे पुष्कर जी को देने से पीछे हट गए तभी गंगाराम के भाइयों ने भी कह दिया कि जब एग करी क्यों नहीं दे सकते तो हम क्यों किसी का करियर भरें अब गंगाराम की अर्थी हो वहां रुके हुए बहुत देर हो गई थी तभी यह बात गंगाराम की इकलौती बेटी तक पहुंच गई तो वह भागी-भागी अपने पिताजी की अर्थी तक पहुंची तभी उसने देखा कि उसके पिता की अर्थी का एक पांव किसी बड़े सेठ ने पकड़ रखा था यह

देखते ही उसने आंखों में आंसू लिए अपना सारा जेवर और जितने भी पैसे उसके पास थे वह उसे दे दिए और फिर उस डेट के आगे हाथ जोड़ते हुए यह कहा कि सेट अगर यह सब जेवर बेचकर भी आपका करियर पूरा ना हो पाए तो मैं खुद आपका सारा कर्ज चुकाएगी मगर इस समय मेरे पिताजी की अंतिम यात्रा को मत रोको तभी उठने गंगाराम की अर्थी का पांव किसी और को पकड़ा कर उसकी बेटी के पास आकर बोला कि मुझे माफ कर दो बेटी दरअसल बात यह है कि मुझे गंगाराम से 2 लाख लेने नहीं बल्कि देने हैं गंगाराम ने तीन साल पहले मेरी कुछ मजबूरी पड़ने पर अपनी एक जमीन बेचकर मुझे

दो लाख रुपए दिए थे और वह तो इतना भला आदमी था कि मुझसे ₹1 भी ब्याज नहीं लिया और आज जब मैं गंगाराम के रूपए लौटाने आया हूं तो मुझे खबर मिली कि उनका तो देहांत हो गया इसलिए मैं बड़ी सोच में पड़ गया था कि अब यह रुपए मैं किसको दूं इसलिए मैंने यह खेल खेला ताकि गंगाराम जी के यह दो लाख रुपए घर के एक ऐसे सदस्य के पास जाएं। जो वाकई में उनको प्यार और उनकी इज्जत करता हूं और बेटी आज तुम यह साबित कर दिया कि अपने मां-बाप को एक बेटे से बहुत ज्यादा एक बेटी प्यार करती है इसलिए यह दो लाख रुपए मैं तुम्हें सौंपता हूं काश तुम जैसी बेटी हर घर में हो जो अपने पिता की कितनी

इज्जत करती है यह सब देखकर गंगाराम के बेटे और भाई का सिर शर्म से नीचे जो गया वाकई में दोस्तों यह बात तो एकदम सच है कि माता-पिता को बेटे से ज्यादा बेटी प्यार और उनकी इज्जत करती है। इसलिए दोस्तों बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ धन हुआ था।

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