बेचारे पति की कहानी

 
बेचारे पति की कहानी


नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको सुनाऊंगा पत्नी हो तो परिधि जैसी बेचारा पति सुनिए जी अगले महीने करवा चौथ है। आपको याद है ना परिधि ने अपने पति  नमन से बड़े प्रेम भरे शब्दों में कहा और पिछली बार भी आपने वादा किया था की अगली करवा चौथ पर आप मुझे अच्छे से अच्छे सारे दिलवाएंगे। अभी से ही का रही हूं। इस बार कोई भी बहाना नहीं सुनूंगी पिछली बार तो आपने मुझे चोरियों में दल दिया था। तब  नमन मुस्कुराकर बोला हान हान याद है मुझे अबकी बार मैं तुम्हें सदी जरूर दिला दूंगा। अब मैं ऑफिस जाऊं मुझे देर हो रही है धीरे-धीरे दिन बाईट गए।

और अब करवा चौथ का दिन आने में कुछ दिन बचे द  नमन सोच रहा था की परिधि 400 से 500 रुपए तक की ही सदी लेगी और वह उसे जैसे-तैसे दिला ही देगा। तभी एक दिन ऑफिस में  नमन के सीनियर ने उससे कहा यार  नमन असल में छुट्टी पर रहूंगा जरा मेरा कम भी तुम ही देख लेना  नमन बोला की सर आप चिंता ना करें मैं सारा कम संभल लूंगा। लेकिन आज आप इतनी जल्दी कहां जा रहे हैं तब उसके सीनियर ने कहा की यार नमन एक हफ्ते बाद करवा चौथ है इसलिए तुम्हारी भाभी को एक अच्छे से सदी और उसे कुछ जरूरत का समान दिलाने जा रहा हूं तो आज शॉपिंग में मेरा बहुत खर्चा होने वाला है लेकिन

खर्चे से क्या डरना आखिर मेरी पत्नी के शिव मेरा खर्चा करने वाला है कौन लेकिन  नमन तो अकेला ही कमाने वाला था और महीने के आखिरी तक खर्चा तो समझो उसके तनख्वाह में से ₹1 भी नहीं बच पता था तभी  नमन को अपनी पत्नी परिधि की बात याद ए गई वो मैन में यह सोचने लगा की उसने भी परिधि को एक अच्छी सी सदी दिलाने का वादा किया है पर मेरे पास तो बिल्कुल भी पैसे नहीं है क्या करूं और अभी तो तनख्वाह आने में भी काफी दिन है यह त्यौहार महीने के आखिरी में ही क्यों आते हैं जब जेब बिल्कुल ही खाली होती है अब शाम को  नमन ऑफिस से घर पहुंचा रोज की तरह ही

परिधि ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला दरवाजा खुलती ही  नमन को परिधि की आंखों में कुछ प्रश्न दिखाई दे रहे द जैसे वो उसे उसका वादा याद दिला रही हो तभी  नमन हल्का सा मुस्कुराकर अंदर ए गया और थोड़ी देर में वो खाना खाकर सीधा अंदर सोने चला गया वह परिधि के सामने आने से बच रहा था लेकिन एक ही घर में रहकर पत्नी के प्रश्नों से बचाना तो नामुमकिन है आखिर परिधि ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा की क्या बात है  नमन मैं बहुत देर से देख रही हूं की तुम मुझसे नजर बचाकर इधर उधर जा रहे हो नमन बोला की नहीं तो ऐसी कोई भी बात नहीं है परिधि बोली अच्छा ये बताओ

तुम्हें अपना वादा याद है या फिर भूल गए  नमन बात को घूमती भी बोला कौन सा वादा सदी दिलाने का परिधि ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा  नमन ने आहिस्ता से कहा अच्छा सदी ले लेना अभी तो करवा चौथ के कई दिन बाकी है परिधि बोली 2 दिन पहले दिलाओगे तो कैसे पहनूंगी सदी पहनने के लिए उसे तैयार भी करवानी पड़ती है और आजकल तो उनकी दुकानों पर बहुत ही भीड़ होती है दस-दस दिनों में नंबर आता है आज ही पैसे दे दोगे तो काली में सदी ले आऊंगी यह बात परिधि थोड़ा नाराज होकर बोली उसका हाथ पकड़ कर नमन बोला अच्छा यह बताओ की तुम्हारी कितने तक की आएगी अच्छी सी सदी कम से कम

5000 तक की आएगी 5000 सुनते ही  नमन की सास ऊपर के ऊपर और नीचे के नीचे अटक गई और परिधि ज्यादा नाराज ना हो जाए इसलिए वो उसे बोला की मैं एक तो दिन में पैसों का इंतजाम करता हूं इस बात पर परिधि झुन्ड्ला कर बोली की आपका हर बार का यही रहता है जबकि आपको मैंने इतने दिन पहले ही बोल दिया था तो फिर आपको पैसों का इंतजाम पहले करके रखना था ना ये कहकर परिधि पैरों को पटकते हुए और वो आंखों में आंसू लिए अंदर कमरे में चली गई अब  नमन वहां खड़ा खड़ा यही सोचता रहा की परिधि ने गलत भी क्या कहा है हर त्यौहार पर उसे केवल मैंने आश्वासन के शिव

 दिया ही क्या है फिर  नमन ने ऑफिस के कुछ दोस्तों से उधर पैसों की बात की लेकिन त्यौहार के कारण सब नहीं माना कर दिया कुछ दिन और निकल गए और करवा चौथ में अब केवल एक ही दिन बचा था और इस बीच में परिधि ने  नमन से कुछ कहा भी नहीं वह भी समझ चुकी थी की सदी के लिए पैसों का इंतजाम नहीं हो पाया होगा अब करवा चौथ से एक दिन पहले सुबह  नमन ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था तभी परिधि आकर बोली कल करवा चौथ है सदी तो ए गई कुछ दे दो श्रृंगार का समान ले आऊंगी नमन ने पूछा कितने पैसों में हो जाएगा 1500 तक दे दो मेहंदी भी लगवानी है 500 तो

मेहंदी में खर्च हो जाएंगे और 500 का मेकअप बाकी का करवा चौथ के व्रत का समान भी लाना है ठीक है शाम को ले लेना करवा चौथ तो कल है इतना कहकर  नमन चुपचाप गुस्से में निकल गया पीछे से परिधि बढ़ाने लगी की शाम को पैसे देंगे तो मेहंदी कब लगवाउंगी और सारा समान भी दिन में ही लाना है यह सारी बातें  नमन भी जानता था की करवा चौथ का समान और मेहंदी का कम एक दिन पहले ही होता है अब  नमन को उम्मीद थी की शायद दोपहर तक पैसों का इंतजाम हो ही जाएगा और मैं हाफ दे में ऑफिस से आकर परिधि को पैसे दे दूंगा भगवान कोई रास्ता निकलेगा ही यही सब सोचते हुए वह ऑफिस निकल

गया उसने सभी दोस्तों से पैसों के लिए एक बार फिर पूछा मगर कोई फायदा नहीं हुआ इसी तरह शाम के साथ भी बच गए और उसके ऑफिस से सभी लोग छुट्टी करके घर जाने लगे और वह अभी भी सोच में डूबा हुआ बैठा था की उसके दोस्त ने कहा  नमन क्या बात है कहां कोई हुए हो घर नहीं जाना क्या वह एकदम चौकते  हुए बोला हान हान बस जा रहा हूं फिर वह अपना बाग और टिफ़िन उठाकर बाहर निकल आया मैन में हलचल मची हुई थी की परिधि को क्या जवाब दूंगा कैसे सामना करूंगा उसका यह सोचते सोचते वो पैदल ही चलता जा रहा था चलते-चलते अब उसे 2 घंटे के लगभग हो चुके द वह कहां जा रहा था उसे

भी मालूम नहीं था थोड़ी देर में थक कर वह सड़क के किनारे एक बेंच पर बैठ गया और खुद के भाग्य को खूब कोने लगा वह खुद से ही यह का रहा था की क्या फायदा ऐसे जीवन का जो अपनी पत्नी की एक छोटी सी इच्छा भी पुरी ना कर पाऊं इससे अच्छा तो मैं मार जाता हूं कम से कम परिधि को मुझमें जैसे कंगाल इंसान से मुक्ति तो मिल जाएगी यह सोचकर वह आंखों में आंसू लिए मरने रेल की पटरी की तरफ जाने लगा लेकिन ट्रेन के आने से पहले सोचा की कल करवा चौथ है कल परिधि मेरी लंबी आयु के लिए उपवास रखेगी लेकिन अगर कल उसके सामने मेरा मृत शब्द जाएगा तो परिधि

 पर क्या बीतेगी और सभी लोग मुझे कर भी कहेंगे  नमन के मैन में ये उथल-पुथल बड़ी देर से चल रही थी की अचानक उसका मोबाइल बजा देखा तो परिधि का फोन था  नमन ने दुखी मैन से उसका फोन उठा लिया फोन रिसीव होते ही बोली हेलो कहां है आप 11 बज गए घर क्यों नहीं आए अब आप ठीक तो हो ना मुझे बहुत दर लग रहा है दूसरी तरफ से परिधि घबराते हुए बोले जा रही थी आप सन रहे हैं ना जवाब क्यों नहीं दे रहे वो परिधि पैसों का इंतजाम नहीं हो पाया नमन बड़ी मुश्किलों से रुवा से स्वर में बोला पैसों का इंतजाम नहीं हुआ तो क्या आप घर पर नहीं आएंगे यह बात परिधि

रोते हुए बोली आप जल्दी घर ए जाओ बस मैं कुछ नहीं जानती परिधि था तुम रो मत मैं थोड़ी देर में घर ए जाऊंगा  नमन जैसे घर पहुंचा तो उसने देखा की परिधि चौखट पर खड़ी खड़ी बेसब्री से उसकी रह देख रही थी उसकी आंखों में अभी भी आंसू द और वह  नमन के बिना घर के चौखट से हिलाना भी नहीं चाहती थी तभी जैसे ही उसने घर के सामने  नमन को आते देखा तो वो भाग कर उसके साइन से लिपट गई और जोर-जोर से रोने लगी माफ करना परिधि मैं तुम्हें इस त्यौहार पर भी कुछ ना दिला पाया मैं अपना वादा निभा नहीं पाया यह बात  नमन ने बड़े दुखी होकर कहा ऐसा क्यों

कहते हैं अब पैसे नहीं है तो घर नहीं आओगे क्या वह रोते हुए बोली आपको मेरी कसम है जो कभी ऐसे मुझे रुलाया तो मुझे कुछ भी नहीं चाहिए बस आप जीवन भर मेरे साथ ही रहना नहीं चाहिए मुझे सदी और श्रृंगार मेरा श्रृंगार तो आप है जो कुछ भी घर में है मैं उसी के ही साथ करवा चौथ का व्रत रख लूंगी फिर नमन ने परिधि की आंखों के आंसू पहुंचे और उसे घर के अंदर ले गया और नमन ने परिधि को बड़े प्यार से कहा की परिधि आज मैं तुम्हारे हाथों में मेहंदी लगाऊंगा यह सुनकर परिधि थोड़ा हंसने लगी और बोली ठीक है फिर तो मेरा मेकअप भी कल तुम ही कर देना इस बात पर दोनों ही खूब हंसने लगे अब  नमन और परिधि का प्यार और भी मजबूत हो चुका था वाकई में दोस्तों परिधि के प्यार ने यह साबित कर दिया की पति के आगे ऐसा कुछ भी नहीं धन्यवाद।

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