अपना जीवन कैसे बदलें

  
अपना जीवन कैसे बदलें


एक समय की बात है। एक गुरु और एक शिष्य किसी गांव से गुजर रहे द काफी देर चलने के बाद उनको प्याज लगने लगी थी। तो वह खेत पर जा पहुंचे खेत बहुत बड़ा और उपजाऊ था लेकिन उसे खेत को देख कर लगता था की उसका मलिक उसे खेत पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा था। वहां पर एक झोपड़ी थी उन दोनों ने झोपड़ी के दरवाजा को खटखटाया तो अंदर से एक आदमी निकाला और साथ ही उसकी पत्नी और बच्चे बाहर निकले द सभी ने फटे पुराने कपड़े पहने हुए द गुरुजी ने बहुत ही विनम्र निवेदन किया क्या हमें पीने का पानी मिल सकता है। किसान ने उन दोनों को पानी पिलाया पानी पीने के बाद गुरु बोले

आपका खेत बहुत बड़ा है लेकिन क्या आप इसमें कोई फसल नहीं उगते किसान भुला नहीं हम फसल नहीं बोलते। गुरुजी बोले तो आप लोगों का गुजारा कैसे चलता है। किसान बोला गुरुजी हमारे पास एक भैंस है जो बहुत सारा दूध देती है और उसमें से कुछ दूध बेचकर हम गुजारा कर लेते हैं और बाकी बच्चे दूध को हम सेवन कर लेते हैं। गुरुजी बोले इतनी बड़ी जमीन को यूं ही व्यर्थ खाली छोड़ना यह आपके आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। खाली एक भैंस पर निर्भर होना आपके लिए ठीक नहीं है लेकिन किसान बहुत ही आलसी था। उसने कहा की हमें मेहनत करने की क्या जरूरत है 15 किलो रोज

दूध देने वाली भैंस से हमारा गुजारा ठीक थक हो जाता है तभी गुरुजी बोले लेकिन आपको मेहनत तो करनी चाहिए समय का कोई पता नहीं होता लेकिन गुरु जी की बातों को किसान हवा में ले गया अब शाम हो चुकी थी और देर भी काफी हो गई थी तो गुरु और शिष्य ने कहा की आज की रात हम लोग यहीं बताएंगे और सुबह जल्दी ही यहां से प्रस्थान करेंगे यह कहकर गुरुजी ने उसे परिवार से वहां रुकने के लिए अनुमति मांगी और किसान की हान करते ही वह दोनों वहीं रुक गए फिर आधी रात को गुरु ने शिष्य को जगाया और बोले चलो हमें इसी वक्त यहां से आगे के लिए निकलना है और साथ

ही इस परिवार की भैंस को साथ लेकर कहीं जंगल में छोड़ देते हैं शिष्य को अपने गुरु की बात का आश्चर्य हुआ क्योंकि जिस गुरु ने उसको सही मार्ग पर चलना सिखाया था आज वही गुरु किसी के साथ बुरा करने को बोल रहे द लेकिन क्या करें गुरु आखिर गुरु द इसलिए उसे गुरु की बात को तो मानना ही था फिर वह दोनों उसे आदमी की भैंस को लेकर जंगल की ओर चल दिए और उसे भैंस को काफी दूर जंगल में ऐसी जगह छोड़ दिया जहां से उसे भैंस का वापस आना नामुमकिन था इस घटना के बाद शिष्य का मैन बेचैन सा रहने लगा और लगभग 6 से 7 वर्ष बाद जब वह शिष्य बड़ा गुरु बन गया था तो

उसने सोचा की उन्होंने उसे किसान से मिला जाए अब तक तो वह बर्बाद हो चुका होगा क्यों ना उसकी आर्थिक मदद की जाए जिससे की उसे दिन की गुरुजी के द्वारा की गई गलती को सुधार जा सके शिष्य उसे किसान की मदद करने के लिए निकल पड़ा और काफी देर चलने के बाद किसान के घर पहुंच गया लेकिन वहां पर पहुंचकर वह शिष्य बहुत ही ज्यादा आश्चर्यचकित हो गया जो खेत खाली पड़ा रहता था वहां उसने बहुत ही हरियाली देखी एक तरफ गेहूं की खेती तो दूसरी तरफ बड़े-बड़े फलों के पेड़ लगे हुए द और साथ ही में एक अच्छा सा बड़ा सा घर बना हुआ था यह सब देखकर शिष्य ने सोचा की लगता है वह

किसान और उसका परिवार उसे भैंस के चले जाने के बाद सब कुछ बेचकर चले गए हैं तभी यह सब सोचकर वह शिष्य वहां से वापस जाने लगा लेकिन अचानक ही उसने उसी किसान को देखा जिसके घर में वह गुरु और शिष्य रात को रुकी द तभी शिष्य ने उसे किसान से पूछा की अब आपका जीवन कैसा चल रहा है और अब आप क्या कम कर रहे हैं क्या आपने मुझे पहचाना कई साल पहले एक रात मैं और मेरे गुरुजी आपके घर रुके द अभी किसान मायूस होकर बोला हान कैसे भूल सकता हूं उसे रात को जवाब दोनों बिना बताए ही यहां से चले गए द और साथ ही उसे रात हमारी भैंस भी ना जाने कहां चली गई थी और आज तक वापस नहीं आई

काफी दिनों तक हम इसी बात को लेकर परेशान रहे की अब घर का गुजारा कैसे चलेगा और कुछ भी समझ में नहीं ए रहा था की अब हमें क्या करना चाहिए और कई साल खाली बैठकर एक भैंस पर निर्भर रहकर हम सब बहुत ही ज्यादा आलसी हो गए द लेकिन तभी मुझे तुम्हारे गुरु जी की बात याद ए गई उन्होंने भी यही कहा था की एक भैंस पर निर्भर रहना आपके लिए आने वाले समय पर भारी पद सकता है लेकिन उसे समय मैंने उनकी एक ना सुनी लेकिन भैंस के जाने के बाद फिर मैंने जंगल से लड़कियों काटकर बाजार में बेचना शुरू किया और धीरे-धीरे पैसे बचाकर उन पैसों को अपने खेतों में लगाने लगा फिर धीरे-धीरे मैंने

फलों के पेड़ भी लगाना शुरू की है इसके बाद मैंने थोड़े से ही पैसों में अनाज उगाना भी शुरू किया ऐसे करते-करते आज मैं गांव का बड़ा व्यापारी बन गया और मेरा जीवन बदल गया आपके गुरु जी ने मुझे सही कहा था की हमारे जमीन बहुत ही उपजाऊ है इसे हमें खाली नहीं छोड़ना चाहिए था आगे वह किसान बोला अगर उसे दिन मेरी बहस नहीं गई होती तो शायद यह सब कुछ आज मेरे साथ नहीं होता और मेरा जीवन भी इतना ना बदलता यह सब सुनकर शिष्य बोला लेकिन यह सब तो आप पहले भी कर सकते द किसान ने कहा बिल्कुल कर सकता था लेकिन उसे समय मेरा कम बिना मेहनत के चल रहा था और मुझे कभी लगा

भी नहीं की मैं यह कम करने में भी सक्षम हूं इसलिए मैंने कभी कुछ अलग करने की कोशिश भी नहीं की लेकिन जब मेरे पास कोई और चारा नहीं था तो मुझे लगा की मुझे कोई और दूसरा कम शुरू करना चाहिए जिससे की मैं अपने परिवार का अच्छे से पालन पोषण करो तब मैंने अपने मैन में थन लिया की अब तो कुछ करना ही है और जो भी करूंगा पुरी मेहनत से करूंगा। और पुरी ईमानदारी से करूंगा इसी तरह आज मैं सफलता के इस मुकाम पर हूं कहानी से सिख दोस्तों कहीं आपकी जिंदगी में इस भैंस की तरह कोई रुकावट तो नहीं है जो आपको एक अच्छी जिंदगी जीने से रोक रही है। अगर आपको ऐसा लगता है तो आगे बढ़ाने की हिम्मत करिए और कुछ अलग करके दुनिया को दिखाइए क्योंकि हर किसी इंसान में कोई हुनर जरूर छिपा होता है। बस जरूरत है तो अपने हुनर को बाहर निकलने की उसे पहचान की धन्यवाद।

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