विधवा की दर्द भरी प्रेम कहानी

 
विधवा की दर्द भरी प्रेम कहानी


दूर से गाने की आवाज़ सोने के कानों तक पहुंच रही थी और वह इसे सुनकर रोटी हुई अपने अतीत के गलियारों में होती जा रही थी। यह गाना उसे और उसके प्यारे पति अविनाश को बहुत ही ज्यादा पसंद था। बहुत लंबा तो नहीं परंतु एक छोटा सा यादगार रास्ता दोनों ने एक साथ तय किया था। घर वालों की मर्जी के खिलाफ शादी की थी। सोनी बचपन में एक बार विधवा हो गई थी और अब फिर से विधवा थी उसे तनिक भी याद नहीं की कब उसका विवाह हुआ। अब वह सुहागन बनी और कब विधवा भी हो गई सोने की कहानी कुछ इस तरह है गांव से 10वीं पास करने के बाद घर में बाबूजी का फरमान जारी हुआ की अब आगे

पढ़ने की जरूरत नहीं चूल्हा चौका करके सोने घर के कोने में पड़ी रहेगी एक विधवा स्त्री की यही तो विडंबना है लेकिन बड़े भाई जो की खोज में द उन्होंने सोनी को पढ़ने का बीड़ा उठाया उनकी बात काटने की हिम्मत बाबूजी में भी ना थी और मैन मार कर उन्होंने आगे की पढ़ पुरी करने की इजाजत दे दी सोनी ने मैन ही मैन भैया को धन्यवाद दिया और मैन लगाकर पढ़ पुरी करने लगी एक बार भैया छुट्टियां में घर आते हैं भैया फौज में है और सोने की पढ़ का पूरा खर्चा बाबूजी के हाथ में रख देते हैं आप कॉलेज का आखिरी साल था सोने जोर-शोर से पढ़ कर रही थी की अचानक किसी

ने जोर से बाहर के दरवाजे की कुंडी कढ़ाई और फिर भैया की आवाज़ आई उन्होंने बोला की सोनी जल्दी दरवाजा खोलो तभी सोने भगति भी जाती है और दरवाजा खोलती है और अपने बड़े भाई से लिपट जाती है तभी अचानक उसकी नजर भैया के साथ खड़े फौजी पर पड़ी और वह चिक कर अलग खड़ी हो गई भैया ने परिचय करवाया अविनाश है फिर तीनों घर के अंदर आते हैं अम्मा खाने पीने की तैयारी में लग जाती है और सोनी अपने कमरे में पढ़ करने चले जाती है परंतु उसका मैन अब पढ़ में तनिक भी नहीं लग रहा था और बार-बार उसका ध्यान अविनाश की ओर जा रहा था दूसरे दिन परीक्षा

देकर जब वह घर लौटी तो आंखें अविनाश कोई ढूंढ रही थी अविनाश को भी इस बात का एहसास हो गया था की सोनी उसे चुप चुप कर देख रही है एक सप्ताह कैसे बीट गया पता ही नहीं चला भैया से भी यह बात छुपी नहीं रही दोनों एक दूसरे के प्रति बहुत ही ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं और एक दूसरे से प्रेम भी करते हैं फिर जब भैया ने अविनाश से इस बारे में बात की तो वह झट से मैन गए क्योंकि उनके घर में सिर्फ एक बुरी मैन थी बाबूजी कई साल पहले गुजर गए द भैया ने फिर अम्मा बाबूजी से इस बारे में बात की तो बाबूजी झटक गए क्योंकि सोनी बाल विधवा थी और अविनाश भी उनसे नीचे जाती के द अम्मा

बाबूजी ने अब घर में बहुत ही ज्यादा बवाल कर दिया था और वह दोनों बिल्कुल भी नहीं मैन रहे द अब भैया के पास एक ही उपाय बचा था की वह चुपचाप पास वाले गांव के मंदिर में दोनों को लेकर गए और शादी करवा दी के समय भैया से लिपट कर सोनिक खूब रोई मैन और पिताजी के बिना सोनी को शादी करना बहुत ही अजीब लगा लेकिन वह बचपन में विधवा हो गई थी इसलिए अब वह अभिषेक को नहीं खोना चाहती थी उसने मैन ही मैन मंदिर में मैन और पिताजी के हाथ जोड़कर उनसे माफी मांग ली और अविनाश के साथ अपने ससुराल चली गई फिर एक बेटे के जन्म होने के बाद सोनी अपनी पति के साथ माइक आई तो उसके अम्मा और

बाबूजी भी सब कुछ भूलकर उसे गले से लगा लिया। इसके बाद सोने के एक बिटिया भी हुई बिटिया जब 2 साल की थी तो हमेशा की तरह इस साल भी अविनाश जी छुट्टियां में घर आए हुए थे। अभी दो ही दिन हुए थे की सीमा पर जंग छिड़ गई है सभी फौजी तत्काल ड्यूटी पर लौटे ना जाने सोनी को इस बार भी ऐसा क्यों लग रहा था की वह अविनाश जी को अंतिम बार विदाई दे रही है अविनाश जी चले गए मातृभूमि की रक्षा करने के लिए एक हफ्ते बाद भैया आते हैं सोनी पूछती है अविनाश जी को कहां छोड़ा है वह कहां रह गए भैया कुछ नहीं बोल पाए उनकी आंखें दबदबा गई सोने फस गई परंतु वह क्योंकि देश पर मार मिटाने वालों की पटिया कभी भी विधवा नहीं होती वह तो सदा सुहागन रहती है अब सोने दिन रात अविनाश के लिए तड़पती रहे लेकिन जाने वाला कभी वापस नहीं आता।

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