गाँव क़ा प्यार

  
गाँव क़ा प्यार


नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको सुनाऊंगा अपने प्यार के बिना कैसे रहूंगी बेटी ने जीता पिता का दिल गांव के प्यार की बहुत ही सुंदर कहानी अनामिका जैसा नाम उसे कहीं ज्यादा खूबसूरत थी। वो पूरा गांव बस उसी की बातें करता रहता था वो थी। इतनी प्यारी खूबसूरत के साथ-साथ वो एक भोली भली और ईमानदार लड़की भी थी और हान अपने पिता के साथ-साथ वो भोलेनाथ भगवान से भी बहुत ही ज्यादा प्रेम करती थी वैसे तो अनामिका के माता-पिता बहुत गरीब द मगर उसके पिता की एक बहुत बड़ी जमीन थी। जिस पर वह खेती करके अपना घर चलाते थे। अनामिका की एक छोटी बहन और एक छोटा भाई भी था जो अभी स्कूल पढ़ रहे थे।

और अनामिका ने 12वीं कक्षा तक स्कूल छोड़ दिया था क्योंकि उसकी मैन और पिताजी तो खेतों में चले जाते द और घर पर इतना कम रहता था की वह अनामिका कोई क्षमता पड़ता था खैर घर संभालना तो बहाना था दरअसल अनामिका इतनी सुंदर थी की उसके माता-पिता को हर समय दर सत्ता रहता था की उसकी लड़की किसी गलत लड़के के चक्कर में ना फैंस जाए इसलिए अनामिका का स्कूल उसके माता-पिता ने छुड़वा दिया था जबकि उसका पढ़ने का बहुत मैन था लेकिन उसे बेचारी ने घरवालों की खुशी के लिए अपनी आगे की पढ़ भी छोड़ दी अब समय बिताने लगा एक दिन अनामिका अपने माता पिता को खेतों में खाना देने जा रही

थी अभी सामने से बाइक पर प्रेम सिंह नाम का एक स्मार्ट सा लड़का निकल रहा था लड़के को देखकर अनामिका के दिल में हलचल सी हो गई प्रेम सिंह ने भी अनामिका को देखा तो देखता रह गया दरअसल वो अनामिका के घर ही जा रहा था क्योंकि उसके माता-पिता ने उसके छोटे भाई बहन को ट्यूशन पढ़ने के लिए कहा था प्रेम सिंह किसी एनजीओ की तरफ से गांव के सभी बच्चों को फ्री पड़ा रहा था तभी प्रेम ने अनामिका को रोका और कहा सुनिए राम कुमार जी का घर कहां पड़ेगा आप बता सकते हैं यह सुनकर तो अनामिका मणि मैन मुस्कुराने लगी और सोच में पद गई की यह हमारे घर का ही पता क्यों पूछ रहा है

प्रेम ने फिर से कहा मैं आपसे पूछ रहा हूं आप कहां खो गई यह सुनते ही वो लड़खड़ा गई और बोली की रामकुमार तो मेरे पिता है लेकिन वह तो अभी खेतों में है तभी प्रेम बोला की उन्होंने मुझे अपने बच्चों को ट्यूशन पढ़ने को कहा था तो वह बोली की मैं अपने पिताजी को ही खाना देने जा रही हूं आप मेरे पीछे ए जाइए और मेरे पिता से बात कर लेना प्रेम मणि मैन में कहने लगा की इतनी खूबसूरत लड़की के पीछे तो मैं जीवन भर चलने को तैयार हूं अब थोड़ी देर में प्रेम और अनामिका उसके पिता के पास पहुंच गए फिर प्रेम से उसके पिता ने दो बच्चों को घर पर ही पढ़ने के

लिए का दिया और साथ में उन्होंने यह भी कहा की प्रेम बेटा तुम जो सभी बच्चों को फ्री में पढ़ते हो यह कम तुम बहुत ही अच्छा कर रहे हो तब प्रेम बुला नई सर ये तो मैं किसी एनजीओ की तरफ से पढ़ा रहा हूं और मुझे उसके यहां से कुछ पैसे भी मिल जाते हैं और इसके साथ-साथ मैं अपनी आगे की पढ़ भी कर लेता हूं यह सुनकर अनामिका को भी अपनी पढ़ याद ए जाती है और वह भी कहती है की मुझे भी पढ़ करना बहुत ही अच्छा लगता है मगर अब मैंने पढ़ छोड़ दी है तो प्रेम जल्दी से बोला की चिंता मत करो मैं आपके भाई बहन के साथ आपको भी पढ़ा दूंगा अगर आपके पिताजी कहे तो तभी उसके पिता

बोले की इससे अच्छी क्या बात होगी उन दोनों के साथ साथ मेरी बड़ी बेटी अनामिका को भी बड़ा देना अनामिका नाम सुनते ही प्रेम बोला वह जितनी खूबसूरत उससे भी कहीं ज्यादा सुंदर इसका नाम है अनामिका अब दोनों ही उसके घर चले गए और उसी दिन से प्रेम उन सब को पढ़ने लगा इसी बीच अनामिका और प्रेम सिंह एक दूसरे के इतने दीवाने हो गए की एक दूसरे के बिना अब वह जीना नहीं चाहते द लेकिन अभी प्यार उनके दिल में था उन्होंने अभी तक प्यार का इजहार नहीं किया था बस वो एक दोस्त की तरह द और एक दूसरे का प्यार पाने के लिए तड़प रहे द समय बिता गया तभी एक

दिन अनामिका के पिता ने उसका रिश्ता गांव के जमींदार के लड़के से तय कर दिया और ये बात वो घर पर अनामिका को बताने आए द लेकिन उसी समय प्रेम ने भी अनामिका का हाथ पकड़ कर उससे प्यार का इजहार कर दिया और यह बात सुनते ही अनामिका प्रेम के साइन से लिपट गई और उसे कहने लगी की ओ प्रेम प्यार का इजहार करने में तुमने कितनी कर दी तुम्हें पता है की मैं तुम्हारे प्यार में कितना तड़प रही थी अब मैं तुम्हारे बिना एक पाल भी नहीं रह सकती अनामिका को नहीं पता था की बाहर खड़े उसके पिता उनकी सारी बातें सन भी रहे द और उन्हें एक दूसरे के गले

लगते हुए देख भी रहे द और यह सब देखकर वो बड़ा दुखी हुए और बिना कुछ कहे ही वो वहां से चले गए अब अनामिका के पिता रामकुमार जी को बहुत ही ज्यादा बुरा लग रहा था उन्हें बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो का रहा था की उनकी बेटी ऐसा कुछ करेगी अब रात हो चुकी थी राम को मरने घर में सभी को यह बता दिया की अनामिका के सगाई जमीदार के बेटे से तय हो चुकी है और अगले महीने ही यह सगाई होगी और मैं जमींदार को गांव वालों के सामने जबान दे चुका हूं यह सुनते ही अनामिका को मानो एक झटका सा लगा हो तुरंत उसकी आंखों से तब तक आंसू बहाने लगे तभी उसकी मैन

बोली की इतनी भी जल्दी क्या थी। जबान देने की कम से कम एक बार अपनी बेटी से पूछ तो लेते यह सुनते रामकुमार बहुत गुस्से में बोला की किस पूछूं जो खुद प्रेम सिंह के प्यार में पागल हो चुकी है। वह मास्टर भी इससे प्यार करता है। कल मैंने इन दोनों की सारी बात सन ली तब राम कुमार की पत्नी बोली तब तो अनामिका की शादी प्रेम सिंह से हमें करवा देनी चाहिए। क्योंकि जहां दोनों की खुशी है। वही हमारी भी खुशी इससे अच्छा लड़का हमें ढूंढने से भी नहीं मिलेगा चुप रहो तुम राम कुमार अपनी पत्नी पर चिल्लाता हुआ बोला जहां मैं कहूंगा वही होंगी। इसकी शादी वर्ण इससे कहो की मुझे मार कर उसे मास्टर प्रेम सिंह से शादी कर लेगी।

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