सेठ और भगवान

 
सेठ और भगवान



कमाल का ताना दिया मंदिर में भगवान ने कि हमेशा मांगने आते हो कभी मुझसे मिलने भी आ जाए करो एक सेठ जी पर बहुत सारा पैसा था। उनके पास बहुत बड़े-बड़े बिजनेस चल रहे थे और जैसे जैसे उनका बिजनेस बढ़ता जा रहा था। उस सेठ की भक्ति प्रभु में बढ़ती जा रही थी लेकिन समस्या यह थी कि सेठ जी के पास में उस व्यापारी के पास में समय ही नहीं था कि भगवान की भक्ति करें बहुत सारे म मर तो उन्होंने बनवाए लेकिन स्वयं कभी पूजा करने के लिए गए नहीं उन्होंने मंदिर में पुजारी रख दिए और पुजारी को नियुक्त कर दिया कि आपको सुबह शाम की इन मंदिरों में

पूजा करनी है तो वह सेठ घर में बैठकर खुश हो जाता था कि मंदिर में पुजारी तो रख ही दिए हैं। वह सब भगवान की पूजा करते रहेंगे। वहां सब संभाल लेंगे और इससे ज्यादा भगवान को चाहिए भी क्या लेकिन एक बार उनके बिजनेस में बहुत बड़ा घाटा हुआ वह ऐसे संकट में फंस गए कि जहां उन्हें 100 करोड़ रुपयो की आवश्यकता थी और जब उन्हें लगा कि मैं अब हर तरफ से घिर चुका हूं बर्बाद होने के कगार पर पहुंच चुका हूं पैसा कहीं से भी अरेंज नहीं हो पा रहा है तो याद आया कि मैंने इतने सारे मंदिर बनवाए हैं और भगवान को प्रसन्न किया है तो चलो चल करके उनसे ही मांगते हैं तो सुबह सुबह इस बात

का व्यापारी ने बहुत ध्यान रखा कि सुबह-सुबह बोनी वाला जो समय है उस समय ही जाना है सबसे पहले भगवान से मैं ही बात करूं कोई और आकर कुछ और ना मांग ले और भगवान का मन खराब हो ना जाए इसलिए सबसे पहले सुबह-सुबह ही दौड़ता हुआ वह सेठ मंदिर चला गया लेकिन जब वह वहां पहुंचे अपने ही बनाए हुए एक मंदिर में तो देखते हैं कि उनसे पहले लाइन में आकर एक भिखारी खड़ा हुआ है सेठ जी का दिमाग खराब हो गया कि यह भिखारी मुझसे प पहले आ तो गया और यह भगवान से पता नहीं क्या मांगेगा और भगवान का कहीं यह मन खराब ना कर दे उनकी इच्छा ही खराब ना हो जाए कि क्या पता वह मुझे

मेरा मांगा हुआ दे या ना दे तभी सेठ भिखारी के पीछे खड़े हो गए अब सेठ यह सोच रहे थे कि यह क्या मांगने आया है इस भिखारी को क्या चाहिए और भिखारी यह सोच रहा था कि सेठ जी भी यहां मांगने के लिए आए हुए हैं और इन सेठ जी को अब क्या चाहिए इन्हें भगवान ने तो इतना कुछ दिया हुआ है अब जैसे ही मंदिर में पट खुले तो भिखारी ने भगवान से कहा कि हे प्रभु सिर्फ 100 की आवश्यकता है मेरी पत्नी बीमार है कुछ दवा का प्रबंध हो जाता तो इलाज चल जाता और मेरी पत्नी ठीक हो जाती और वह बार-बार यही बोले जा रहा था कि प्रभु सिर्फ 100 रूपये बस आज 100 दिन भर में मिल जाए प्रभु अब सेठ का

दिमाग खराब हो गया वह सोच रहा था कि यह भिखारी तो हट ही नहीं रहा इसकी प्रार्थना तो चली जा रही है चली जा रही है तभी सेठ ने बिना देरी किए उस भिखारी के हाथ में 100 का नोट रखा और कहा जाओ जाओ यहां से लो 100 रूपये और निकलो यहां से लेकिन भिखारी 100 रूपये पाकर बहुत ही ज्यादा खुश हो गया और उसने भगवान का धन्यवाद करते हुए उस सेठ का भी शुक्रिया अदा किया अब सेठ जी भगवान से हाथ जोड़कर कहने लगे कि प्रभु उस भिखारी को तो मैंने भगा दिया 100 देकर अब मेरी बात सुन लो मुझे 100 नहीं 100 करोड़ रुपए चाहिए भगवन कहीं से भी इसका इंतजाम करवा दो प्रभु बस मुझ पर भी कृपा बरसा दो ऐसे वह

मंदिर में बोले जा रहे थे बार-बार तो कमाल यह हुआ कि मूर्ति में से भगवान प्रकट हुए और कहने लगे कि तूने इस भिखारी से तो मेरा पीछा छुड़वा दिया उसे 100 देक के अब मुझे तुझसे भी बड़ा अधिकारी ढूंढना पड़ेगा जो आए और तुझे स करोड़ रुपए देक के तुझसे मेरा पीछा छुड़ा दे सेठ जी की आंखों में आंसू आ गए कहने लगे प्रभु ऐसा क्यों कह रहे हो भगवान ने कहा बस यही तो सच है तुमने इतने मंदिर बनवाए इतना सब कुछ करवाया लेकिन कभी मुझसे मिलने नहीं आए आज भी आए हो तो तब आए हो कि जब तुम्हें कुछ मांगना है मैं प्रेम का भूखा हूं बस मिलने ही चले आते तो मैं इतना बड़ा संकट आने ही

नहीं दे देता बहुत छोटी सी कहानी है। जिसका सार यह समझाता है कि जहां बहुत ज्यादा मांगा जाता है वहां प्यार खत्म हो जाता है प्रेम समाप्त हो जाता है इसलिए मांगना बंद कीजिए और अगर मांगना ही चाहते हैं। तो सब्र मांग लीजिए कि प्रभु मुझे धेरे दीजिए सब कुछ मैं अपने दम पर करूंगा बस मुझे सब्र दे दीजिए और आपकी कृपा बनाए रखिए और दोस्तों जब भी आप जाएं चाहे उसको आप किसी भी नाम से पुकारते हो जब भी आप उनके दर पर जाए तो उनसे मिलने के लिए जाएं। उनसे मांगने के लिए ना जाएं वह तो सबके लिए अच्छा ही करते हैं और अच्छा ही करते रहेंगे धन्यवाद।

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