चापलूस की मंडली की कहानी

 
चापलूस की मंडली की कहानी

हेलो दोस्तों आज के इस ब्लॉग में आज हम आपको सुनाएंगे चापलूस मंडली की कहानी चलिए शुरू करते हैं। जंगल में एक शेर रहता था। उसके चार सेवक थे चील भेड़िया लोमड़ी और चीता चील दूर दूर तक उड़कर समाचार लाती चीता राजा का अंगरक्षक था सदा उसके पीछे चलता लोमड़ी शेर की सेक्रेटरी थी। भेड़िया गृहमंत्री था उनका असली काम तो शेर की चापलूसी करना था इस काम में चारों माहिर थे इसलिए जंगल के दूसरे जानवर उन्हें चापलूस मंडली कहकर पुकारते थे। शेर शिकार करता जितना खा सकता वह खाकर बाकी अपने सेवकों के लिए छोड़ जा या करता था उससे मजे में चारों का पेट भर जाता था एक दिन

चील ने आकर चापलूस मंडली को सूचना दी भाइयों सड़क के किनारे एक ऊंट बैठा है बेड़िया चौका ऊंट किसी काफिले से बिछड़ गया होगा चीते ने जीभ चटकाई हम शेर को उसका शिकार करने को राजी कर ले तो कई दिन दावत उड़ा सक हैं लोमड़ी ने घोषणा की यह मेरा काम रहा लोमड़ी शेर के पास गई और अपनी जुबान में मिठासगोलकर बोली महाराज दूत ने खबर दी है कि एक ऊंट सड़क किनारे बैठा है मैंने सुना है कि मनुष्य के पाले जानवर का मास का स्वाद ही कुछ और होता है बिल्कुल राजा महाराजाओं के काबिल आप आज्ञा दें तो आपके शिकार का ऐलान कर दूं शेर लोमड़ी की मीठी बातों में आ गया और चापलूस मंडली के साथ चील द्वारा बताई जगह जा पहुंचा व एक कमजोर सा ऊंट सड़क किनारे निढाल बैठा था उसकी आंखें पीली पड़ चुकी थी उसकी हालत देखकर शेर ने पूछा क्यों भाई तुम्हारी यह हालत कैसे हुई ऊंट करार हुआ बोला जंगल के राजा आपको नहीं पता इंसान कितना निर्दय होता है मैं एक ऊंटों के काफिले में एक व्यापार का माल ढो रहा था रास्ते में मैं बीमार पड़ गया माल ढोने लायक नहीं

था उसने मुझे यहां मरने के लिए छोड़ दिया आप ही मेरा शिकार कर मुझे मुक्ति दीजिए ऊंट की कहानी सुनकर शेर को दुख हुआ अचानक उसके दिल में राजाओं जैसी उदारता दिखाने की जोरदार इच्छा हुई शेर ने कहा ऊंट तुम्हें कोई जंगली जानवर नहीं मारेगा मैं तुम्हें अभय देता हूं तुम हमारे साथ चलोगे और उसके बाद हमारे साथ ही रहोगे चापलूस मंडली के चेहरे लटक गए भेड़िया फुसफुस या ठीक है हम बाद में इसे मरवाने की कोई तरकीब निकाल लेंगे फिलहाल शेर का आदेश मानने में ही भलाई है इस प्रकार ऊंट उनके साथ जंगल में आया कुछ ही दिनों में हरी घास खाने व आराम करने से वह स्वस्थ हो गया शेर के प्रति वह ऊंट बहुत कृतज्ञ हुआ शेर को भी ऊंट का निस्वार्थ प्रेम और भोलापन बाने लगा ऊंट के तगड़ाहोने पर शेर की शाही सवारी ऊंट के ही आग्रह पर उसकी पीठ पर निकलने लगी वह चारों को पीठ पर बिठाकर चलता एक दिन चापलूस मंडली के आग्रह पर शेर ने हाथी पर हमला कर दिया दुर्भाग्य से हाथी पागल निकला शेर को उसने सड़ से उठाकर पटक दिया शेर उठकर बच निकलने में सफल तो तो हो गया पर उसे चोट बहुत लगी थी शेर लाचार होकर बैठ गया शिकार कौन

करता कई दिन ना शेर ने कुछ खाया और ना सेवकों ने कितने दिन भूखे रहा जा सकता था लोमड़ी बोली हद हो गई हमारे पास एक मोटा ताजा ऊंट है और हम भूखे मर रहे हैं चीते ने ठंडी सांस भरी क्या करें शेर ने उसे अभय दान जो दे रखा है देखो तो ऊंट की पीठ का कूबड़ कितना बड़ा हो गया है चर्बी ही चर्बी भरी है इसमें बेड़िए के मुंह से लारटपकने लगी ऊंट को मरवाने का यही मौका है दिमाग लगाकर कोई तरकीब सोचो लोमड़ी ने ूर्त स्वर में सूचना दी तरकीब तो मैंने सोच रखी है हमें एक नाटक करना पड़ेगा सब लोमड़ी की तरकीब सुनने लगे योजना के अनुसार चापलूस मंडली शेर के पास गई सबसे पहले चील बोली महाराज आपको भूखे पेट रहकर मरना मुझसे नहीं देखा जाता आप मुझे खाकर भूख

मिटाई लोमड़ी ने उसे धक्का दिया चल हट ते मास तो महाराज के दांतों में फंसकर रह जाएगा मा मराज आप मुझे खाइए भेड़िया बीच में कूदा तेरे शरीर में बालों के सिवा है ही क्या महाराज मुझे अपना भोजन बनाएंगे अब चीता बोला नहीं भेड़िए का मांस खा ने लायक नहीं होता मालिक आप मुझे खाकर अपनी भूख शांत कीजिए चापलूस मंडली का नाटक अच्छा था अब ऊंट को तो कहना ही पड़ा नहीं महाराज आप मुझे मार कर खा जाइए मेरा तो जीवन ही आपका दान दिया हुआ है मेरे रहते आप भूखे मरे यह नहीं होगा चापलूस मंडली तो यही चाहती थी सभी एक स्वर में बोले यही ठीक रहेगा महाराज अब तो ऊंट खुद ही कह रहा है चीता बोला महाराज आपको संकोच हो तो हम इसे मार दें चीता व बेड़िया एक साथ ऊंट पर टूट पड़े और ऊंट मारा गया शिक्षा चापलूस की दोस्ती हमेशा खतरनाक होती है आज हमने पढ़ा चापलूस की मंडली की कहानी अगर आपको यह ब्लॉग पसंद आए तो ब्लॉग को लाइक करें धन्यवाद!

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