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ब्रह्मचर्य की कहानी

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   ब्रह्मचर्य की कहानी एक बार महर्षि वेदव्यास अपने शिष्यों को ब्रह्मचर्य की शिक्षा दे रहे थे उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि कामुकता इंसान के विनाश का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए हमें ब्रह्मचर्य जीवन में कामवासना से बचना चाहिए। गुरुदेव की बात बीच में ही काटते हुए उनके तरुण नामक एक शिष्य ने कहा गुरुदेव मैं तो पूर्ण ब्रह्मचारी हूं काम मुझे जरा सा भी पीड़ित नहीं कर सकता तो गुरुदेव ने कहा वत्स यदि तुम्हारा मन जरा सा भी कमजोर हुआ तो कामवासना तुम्हारे ऊपर हावी हो सकता है परंतु शिष्य मानने को तैयार नहीं था वह बार-बार यही कहता कि गुरुदेव मैं तो पूर्ण ब्रह्मचारी हूं। कामवासना की कितनी भी तेज आधी क्यों ना हो मगर वह मेरे ब्रह्मचर्य को हिला नहीं सकती। गुरुदेव ने उसकी बातों से भी सहमति व्यक्त की और मन ही मन उसकी परीक्षा लेने के बारे में सोचने लगे कुछ समय पश्चात गुरुदेव ने सभी बच्चों को आश्रम के परिसर में बुलाया और बोले मैं कुछ समय के लिए पास के ही गांव में जा रहा हूं और शीघ्र ही लौट आऊंगा। यह कहकर गुरुदेव आश्रम से चले गए अगले दिन तरुण जंगल में लकड़ियां इकट्ठा करने के लिए गया वह लकड़ियां इकट्ठा कर ही

एक अमीर जमींदार की कहानी

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   एक गांव में एक अमीर जमींदार रहता था। उसे अपने पैसों पर बड़ा घमंड था जितने अधिक पैसे उसके पास थे उतना ही वह कंजूस भी था। अपने खेतों में काम करने वाले किसानों से वह खूब काम करवाता मगर पगार कौड़ी भर भी ना देता। मजबूर गरीब किसान मन मार कर उसके खेतों में काम करते उसी गांव में रामू नामक एक किसान रहता था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी उसी में खेतीबाड़ी कर वह अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाता था रामू बड़ा मेहनती था। वह दिन भर अपने खेतों में काम करता और अपनी मेहनत के दम पर इतनी फसल प्राप्त कर लेता कि अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा सके गांव के बाकी किसानों के पास रामू के मुकाबले अधिक जमीन थी वे रामू की मेहनत देखकर हैरान होते कि कैसे इतनी सी जमीन में वह इतनी फसल उगा लेता है। एक साल गांव में भयंकर सूखा पड़ा बिना बारिश के खेत खलिहान सूखने लगे गरीब किसानों के पास सिंचाई की कोई व्यवस्था ना थी वे सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर थे। इसलिए उनकी सारी फसल बर्बाद हो गई रामू के साथ भी यही हुआ अपने छोटे से खेत में वह किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था। अब उनके सामने भूख को मरने की नौबत आ

चापलूस की मंडली की कहानी

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  हेलो दोस्तों आज के इस ब्लॉग में आज हम आपको सुनाएंगे चापलूस मंडली की कहानी चलिए शुरू करते हैं। जंगल में एक शेर रहता था। उसके चार सेवक थे चील भेड़िया लोमड़ी और चीता चील दूर दूर तक उड़कर समाचार लाती चीता राजा का अंगरक्षक था सदा उसके पीछे चलता लोमड़ी शेर की सेक्रेटरी थी। भेड़िया गृहमंत्री था उनका असली काम तो शेर की चापलूसी करना था इस काम में चारों माहिर थे इसलिए जंगल के दूसरे जानवर उन्हें चापलूस मंडली कहकर पुकारते थे। शेर शिकार करता जितना खा सकता वह खाकर बाकी अपने सेवकों के लिए छोड़ जा या करता था उससे मजे में चारों का पेट भर जाता था एक दिन चील ने आकर चापलूस मंडली को सूचना दी भाइयों सड़क के किनारे एक ऊंट बैठा है ।  बेड़िया चौका ऊंट किसी काफिले से बिछड़ गया होगा चीते ने जीभ चटकाई हम शेर को उसका शिकार करने को राजी कर ले तो कई दिन दावत उड़ा सक हैं लोमड़ी ने घोषणा की यह मेरा काम रहा लोमड़ी शेर के पास गई और अपनी जुबान में मिठासगोलकर बोली महाराज दूत ने खबर दी है कि एक ऊंट सड़क किनारे बैठा है मैंने सुना है कि मनुष्य के पाले जानवर का मास का स्वाद ही कुछ और होता है ।  बिल्कुल राजा महाराजाओं के क

अमीर गरीब की कहानी

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    आज हम पढ़ेंगे अमीर गरीब की कहानी चलिए शुरू करते हैं। एक बार की बात है गीता और टीना नाम की दो सहेली थी गीता के पिता एक स्कूल में टीचर द जबकि टीना के पिता एक बिजनेस मैन द टीना अमीर थी जबकि गीता गरीब थी थोड़ी लापरवाह किस्म की लड़की थी। जबकि गीता एक समझदार और अपने कम को सही से करने वाली लड़की थी कुछ समय के बाद वह दोनों बड़े हुए और एक कॉलेज में पढ़ने लगे टीना को अपने ही कॉलेज में पढ़ने वाले एक अमीर घर के लड़के से प्यार हो गया और उन्होंने कॉलेज के बाद शादी कर ली गीता की शादी कॉलेज के बाद मिडिल क्लास के एक सरकारी क्लर्क से हुई शादी के कुछ सालों के बाद जब गीता रास्ते में सब्जी लेने जा रही थी। तभी उसके पास एक लग्जरी कर खड़ी दूसरे का हाल-चाल पूछा गीता ने टीना को अपने घर पर आमंत्रित किया इसके बाद टीना गीता के घर पर गई टीना ने गीता के घर और उसकी मोहल्ले के बारे में कुछ कुछ कहना शुरू कर दिया टीना ने गीता को कहा की तुम इतने छोटे घर में कैसे रहती हो और तुम्हारे साथ तो तुम्हारे सास ससुर भी रहते हैं तुम कैसे मैनेज कर पाती हो लेकिन गीता ने टीना की बात का बुरा नहीं माना और बड़ी ही समझदारी से उसका जव

एक प्रेरणादायक कहानी

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    नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको सुनाऊंगा परिवार और मां हां यह तीन भाई एक बहन की कहानी है कि एक गांव में एक सुखी परिवार रहता था उस परिवार में तीन भाई और एक बहन थी मीण कि उनके मां-बाप उन चारों से बेहद प्यार करते थे है मगर बीच वाले बेटे से थोड़ा परेशान थे कि बड़ा बेटा पढ़-लिख कर डॉक्टर बन गया और छोटा बेटा भी पढ़ लिखकर इंजीनियर बन गया था मगर उनका बीच वाला बेटा बिल्कुल गंवार और आवारा ही बनकर रह गया अब उनके दो बेटे डॉक्टर और इंजीनियर ने शादी भी कर ली थी है और कुछ महीनों के बाद ही उनकी बेटी की भी एक अच्छे घराने में शादी हो गई थी मगर बीच वाला बेटा अभी भी कुंवारा ही था क्योंकि वह बिल्कुल अनपढ़ था और कहीं पर मजदूरी का छोटा सा काम करता था ना है इसलिए उसे शादी के लिए कोई भी लड़की नहीं मिल रही थी और उसके मां बाप उससे बहुत परेशान हो चुके थे कि अब जब भी उसकी बहन अपने मायके आती तो पहले वह अपने डॉक्टर और इंजीनियर भाइयों से मिलती थी मगर बीच वाले भाई से वह बहुत कम मिलती थी क्योंकि वहां से ज्यादा पैसे नहीं दे पाता था लेकिन फिर भी वह अपनी बहन से बहुत प्यार करता था अब उनके पिताजी की बीच वाले बेटे की शादी क

मेरी मालकिन और मैं

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   मेरा नाम नमन है। कुछ सालों पहले मैं मेडिकल कॉलेज में पढ़ता था लेकिन मेरी किस्मत ने कुछ इस तरह से मेरे साथ मजाक किया था कि मैं दूसरे शहर में नौकरी करने के लिए चला गया था यहां पर मैं सड़क पर बैठकर बच्चों के खिलौने बेचा करता था।मेरे पास एक नकाब पहने हुई लड़की आई उसने मुझसे ऐसी बात कही जिसे सुनकर होश उड़ गए थे मुझे अपने कानों पर यकीन ही नहीं आ रहा था। मैंने काफी दिन उसके साथ बिताए लेकिन उसका चेहरा नहीं देखा था वह हमेशा मेरे सामने अपने चेहरे पर नकाब लगाए रखती थी मैंने उससे उसका चेहरा देखने की बहुत जिद्द की लेकिन वह मुझे किसी भी हाल में अपना चेहरा दिखाने के लिए तैयार ही नहीं थी। वह कहती कि जब सही वक्त आएगा तो मैं तुम्हें अपना चेहरा दिखा दूंगी उसके मुताबिक जब सही वक्त आ गया और मैंने उसका चेहरा देखा तो मैं उसको देखते ही दंग रह गया था क्योंकि वह तो मेरी दरअसल कुछ साल पहले हम बहुत अमीर हुआ करते थे मेरे पापा इनकम टैक्स ऑफिसर थे एक दिन मेरे पापा ने एक ऐसे इंसान के घर में इनकम टैक्स का छापा मारा जिसके पास बहुत सारा गैर कानूनी पैसा मौजूद था। उस आदमी को अरेस्ट तो कर लिया गया था लेकिन उसके बेटे ने

जेठ ओर जेठानी की असलियत

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  मेरा नाम रीमा है। हमारा घर गांव में था मेरे बच्चे स्कूल की छुट्टियां होने पर अपनी बड़ी मां के घर जाने के लिए बहुत जिद्द किया करते थे। मैं अपने बच्चों को लेकर शहर अपनी जेठानी के घर चली जाती थी। मेरे पति जिस दिन हमें घर आना होता था उस दिन हमें लेने के लिए आ जाते थे। जब मैं अपनी जेठानी के घर पर रात के टाइम पर उनसे बातें करती तो वह मुझसे कहती कि आओ मैं तुम्हारी कमर की मालिश कर देती हूं कभी सारी जिंदगी तुम्हारी कमर में दर् नहीं होगा। मैं अपनी जेठानी से अपनी कमर की मालिश करवा लेती लेकिन इसके बाद मुझे नींद आ जाती और जब आधी रात को मेरी आंख खुलती तो मुझे कुछ अजीब अजीब सा महसूस होता था। लेकिन एक बात बड़ी अजीब होती कि आधी रात के टाइम पर भी मेरे जेठ जी जाग रहे होते थे और जेठानी सो जाती थी। एक दिन जब मैंने यह राज जानने की कोशिश की और जब राज खुलकर मेरे सामने आ गया तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई थी। मैं अपने माता-पिता की सबसे लाडली बेटी थी। हम सात बहनें थे और मैं अपनी सात बहनों से सबसे छोटी थी मम्मी तो बचपन में ही गुजर चुकी थी मेरे पापा ने ही अकेले हम सातों बहनों की परवरिश की थी हमारा कोई भाई भ